चंडीगढ़ से मनाली तक का सफर, जो सामान्यतः 304 किलोमीटर में 8-9 घंटे में पूरा होता था, अब हिमाचल प्रदेश में मानसूनी बारिश की तबाही के कारण एक लंबी और कठिनाइयों भरी यात्रा बन गया है। निरंतर भूस्खलन, सड़क क्षति और मार्ग अवरोध के कारण यात्रियों को वैकल्पिक रास्तों से जाना पड़ रहा है, जिससे वास्तविक रूप से दोनों शहरों के बीच की दूरी और समय दोनों में वृद्धि हुई है।
वर्तमान राजमार्ग की स्थिति
राष्ट्रीय राजमार्ग-21 पर भारी क्षति
चंडीगढ़-मनाली राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-21) गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त है। किरतपुर-पंडोह-कुल्लू-मनाली गलियारे पर 12 स्थानों पर सड़क पूरी तरह से बह गई है और 5 स्थानों पर आंशिक क्षति हुई है। एनएचएआई (राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण) ने तत्काल बहाली कार्य शुरू किया है, लेकिन स्थिति की गंभीरता को देखते हुए सामान्य यातायात की बहाली में काफी समय लगेगा।
सितंबर 2025 तक हिमाचल प्रदेश में 1,155 से अधिक सड़कें बंद हैं, जिनमें 6 राष्ट्रीय राजमार्ग शामिल हैं। मंडी जिले में सबसे अधिक 282 सड़कें प्रभावित हुई हैं।
प्रमुख क्षतिग्रस्त बिंदु
पंडोह डैम के पास कैंची मोड़: इस स्थान पर राजमार्ग का एक बड़ा हिस्सा पूरी तरह से गायब हो गया है। यहां पैदल चलने के लिए भी रास्ता नहीं बचा है।

बनाला क्षेत्र: पनारसा के पास बनाला में हुए भारी भूस्खलन से राजमार्ग 48 घंटे बंद रहने के बाद खुलने के तीन घंटे बाद ही फिर से पूरी तरह अवरुद्ध हो गया।
ऑट-पंडोह सेक्शन: व्यास नदी में बाढ़ के कारण कुल्लू-मनाली सेक्शन पर 200 मीटर से अधिक राजमार्ग बह गया है।
वैकल्पिक मार्ग और बढ़ी दूरी
कमांद-कटौला वैकल्पिक मार्ग
मुख्य राजमार्ग के बंद होने के कारण यात्रियों को मंडी-कुल्लू मार्ग वाया कमांद और कटौला से जाना पड़ रहा है। यह वैकल्पिक मार्ग केवल हल्के मोटर वाहनों के लिए घंटे के अंतराल पर खोला जा रहा है। भारी वाहनों को सुंदरनगर और भाल में रोक दिया जा रहा है।
यात्रा समय में वृद्धि
सामान्य परिस्थितियों में 8-9 घंटे की यात्रा अब अप्रत्याशित रूप से लंबी हो गई है:
- कई दिनों तक फंसना: कई यात्री 3-4 दिनों तक सड़क पर फंसे रह गए हैं
- एकल लेन संचालन: क्षतिग्रस्त हिस्सों में केवल एक तरफा यातायात
- मौसम आधारित बंदी: भारी बारिश की पूर्वसूचना पर तुरंत मार्ग बंद
- लंबे जाम: औट सुरंग में दुर्घटना के कारण मंडी से औट पहुंचने में 5 घंटे का समय लगा
मौसम विज्ञान संकट
रिकॉर्ड तोड़ वर्षा
हिमाचल प्रदेश में अगस्त 2025 में सामान्य से 62% अधिक बारिश हुई, जबकि कुल्लू जिले में 155% अतिरिक्त वर्षा दर्ज की गई। 20 जून से मानसून शुरू होने के बाद से राज्य में निम्नलिखित प्राकृतिक आपदाएं आई हैं:
बुनियादी ढांचे पर प्रभाव
मानसूनी तबाही से राज्य के बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान हुआ है:
पर्यटन और आर्थिक प्रभाव
पर्यटन उद्योग पर गहरा प्रभाव
हिमाचल प्रदेश की जीडीपी में लगभग 7% योगदान देने वाले पर्यटन उद्योग को भारी झटका लगा है। होटल व्यवसायियों की रिपोर्ट के अनुसार भारी बारिश की पूर्वसूचना पर बड़े पैमाने पर बुकिंग रद्द हो जाती है। मनाली, कुल्लू और धर्मशाला जैसे पर्यटन स्थल हफ्तों तक दुर्गम रहे हैं।
कृषि क्षेत्र को नुकसान
फसल कटाई के मौसम में किसानों को भारी नुकसान हुआ है। सेब उत्पादक किसानों के ट्रक कई दिनों तक भूस्खलन क्षेत्रों में फंसे रहने से पूरी खेप खराब हो गई। कुल 88,800 हेक्टेयर फसल प्रभावित हुई है।
कार्गो वाहनों की समस्या: सैकड़ों मालवाहक वाहन कई दिनों तक राजमार्ग पर फंसे रहे, जिससे आपूर्ति श्रखृंला बाधित हुई।
यात्रा सलाह और सुरक्षा चेतावनी
वर्तमान यात्रा सुझाव
अधिकारियों ने यात्रियों के लिए सख्त दिशानिर्देश जारी किए हैं:
- अनावश्यक यात्रा से बचें मानसून के दौरान
- रियल-टाइम सड़क स्थिति की जांच करके ही निकलें
- आपातकालीन आपूर्ति साथ रखें संभावित देरी के लिए
- पुलिस चेकपॉइंट पर दिए गए निर्देशों का पालन करें
- केवल हल्के मोटर वाहन वैकल्पिक मार्गों पर इस्तेमाल करें
सुरक्षा संबंधी खतरे
भारतीय मौसम विभाग ने मंडी, कुल्लू, कांगड़ा और बिलासपुर जिलों के लिए लगातार रेड और ऑरेंज अलर्ट जारी किए हैं। यात्रियों को निम्नलिखित खतरों का सामना करना पड़ सकता है:
- अचानक भूस्खलन और चट्टान गिरना
- नदियों में अचानक बाढ़
- बिना चेतावनी सड़क धंसना
- दूरदराज के क्षेत्रों में लंबे समय तक अलग-थलग पड़ना
भविष्य की योजना और समाधान
NHAI की बहाली योजना
राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने किरतपुर-पंडोह-मनाली गलियारे की तत्काल बहाली के लिए लगभग ₹100 करोड़ आवंटित किए हैं। 70 भारी मशीनें काम में लगाई गई हैं और 20 अतिरिक्त यूनिट्स रास्ते में हैं।
दीर्घकालिक समाधान में शामिल है:
- सुरक्षात्मक गैलरी निर्माण
- अस्थिर हिस्सों में सुरंग विकास
- बाढ़ प्रवण क्षेत्रों में ऊंचे पुल
- उन्नत ढलान स्थिरीकरण तकनीक
चुनौतियां और समस्याएं
इंजीनियरों का मानना है कि पारंपरिक मरम्मत विधियां इस भूगर्भीय रूप से संवेदनशील क्षेत्र में बार-बार होने वाले भूस्खलन का सामना नहीं कर सकतीं। चार लेन परियोजना, जो मूल रूप से चंडीगढ़ से मनाली तक यात्रा समय को 5-6 घंटे तक कम करने के लिए डिज़ाइन की गई थी, निर्माण के दौरान व्यापक ढलान कटाई के कारण नई कमजोरियां पैदा कर चुकी है।
निष्कर्ष
चंडीगढ़ से मनाली का मार्ग, जो कभी भारत की सबसे खूबसूरत सड़कों में से एक माना जाता था, अब चरम मौसमी घटनाओं के लिए पर्वतीय बुनियादी ढांचे की कमजोरी का एक स्पष्ट उदाहरण बन गया है। 2025 के मानसून ने हिमाचल प्रदेश के यात्रा परिदृश्य को मौलिक रूप से बदल दिया है, 304 किलोमीटर की यात्रा को एक अनिश्चित साहसिक यात्रा में बदल दिया है जिसके लिए सावधानीपूर्वक योजना, धैर्य और लचीलेपन की आवश्यकता है।
जब तक स्थायी समाधान लागू नहीं किए जाते, तब तक यात्रियों को काफी लंबे यात्रा समय, अप्रत्याशित देरी और वैकल्पिक मार्गों के लिए तैयार रहना चाहिए जो वास्तव में इन प्रिय हिमालयी गंतव्यों तक पहुंचने की दूरी और जटिलता दोनों को बढ़ाते हैं।
भारी बारिश के कारण सड़क अवरोध की यह समस्या न केवल यात्रियों को प्रभावित कर रही है बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था, कृषि और पर्यटन उद्योग पर भी गहरा प्रभाव डाल रही है। हिमाचल प्रदेश सरकार और केंद्रीय एजेंसियों को जलवायु-प्रतिरोधी बुनियादी ढांचे के विकास पर ध्यान देना होगा ताकि भविष्य में इस प्रकार की आपदाओं से बचा जा सके।